कल की तिथि
kal ki tithi

21 मार्च 2025
की तिथि

कल की तिथि

kal ki tithi - Hindi Panchang
कल की तिथि - हिंदी पंचांग

  • दिनांक : 21 मार्च 2025
  • वार : शुक्रवार
  • माह (अमावस्यांत) : फाल्गुन
  • माह (पूर्णिमांत) : चैत्र
  • ऋतु : वसंत
  • आयन : उत्तरायण
  • पक्ष : कृष्ण पक्ष  
  • तिथि: सप्तमी तिथि (22 मार्च को सुबह 04:23 बजे तक) उसके बाद अष्टमी तिथि
  • नक्षत्र: ज्येष्ठा नक्षत्र (22 मार्च को प्रातः 01:45 बजे तक) तत्पश्चात मूल नक्षत्र
  • योग: सिद्धि योग (शाम 06:40 बजे तक) तत्पश्चात व्यतिपात योग
  • करण: विस्टि भद्र करण (दोपहर 03:38 तक) इसके बाद भाव करण
  • चंद्र राशि: वृश्चिक (22 मार्च को प्रातः 01:45 बजे तक) तत्पश्चात धनु राशि
  • सूर्य राशि: मीन
  • अशुभ समय:
  • राहु काल: सुबह 11:03 से दोपहर 12:34 तक
  • शुभ मुहूर्त:
  • अभिजित : दोपहर 12:10 से दोपहर 12:58
  • सूर्योदय: 06:31
  • सूर्यास्त : 06:37
  • संवत्सर : क्रोधी
  • संवत्सर(उत्तर) : कालयुक्त
  • विक्रम संवत: 2081 विक्रम संवत
  • शक संवत: 1946 शक संवत

kal ki tithi kya hai - important event on this month
कल की तिथि क्या है

  • विनायक चतुर्थी : 3 मार्च
  • दुर्गाष्टमी : 7 मार्च
  • जागतिक महिला दिन : 8 मार्च
  • आमलकी एकादशी : 10 मार्च 
  • होली : 13 मार्च 
  • फाल्गुन पूर्णिमा : 14 मार्च 
  • संकष्ट चतुर्थी : 17 मार्च 
  •  भागवत एकादशी :26 मार्च
  • फाल्गुन अमावास्या : 29 मार्च  

kal ki tithi kya hai - Important of panchang
कल की तिथि क्या है - पंचांग का महत्व

पंचांग: भारतीय कालगणना
भूमिका
पंचांग भारतीय संस्कृति और परंपरा का अभिन्न हिस्सा है। यह एक अद्वितीय खगोलीय कैलेंडर है, जो दिन, तिथि, वार, नक्षत्र, योग, करण और अन्य खगोलीय घटनाओं की जानकारी देता है।

हिंदी पंचांग का महत्व

पंचांग का उपयोग ज्योतिषीय गणनाओं, शुभ कार्यों की योजना, पर्व-त्योहारों के निर्धारण और धार्मिक कर्मकांडों के लिए किया जाता है। यह न केवल एक साधारण कैलेंडर है, बल्कि इसमें विज्ञान, खगोलशास्त्र और धर्म का समन्वय है।

हिंदी पंचांग के मुख्य तत्व

वार: सप्ताह के सात दिनों की जानकारी।
तिथि: चंद्रमा के अनुसार दिन की गणना।
नक्षत्र: आकाशीय पिंडों की स्थिति।
योग: सूर्य और चंद्रमा की विशेष स्थितियों का योग।
करण: एक तिथि का आधा भाग।

हिंदी पंचांग का इतिहास

पंचांग की उत्पत्ति वैदिक काल से मानी जाती है। वैदिक ज्योतिष में इसका विस्तृत वर्णन मिलता है। कालांतर में कई महान ज्योतिषियों ने पंचांग निर्माण में योगदान दिया, जैसे वराहमिहिर, आर्यभट और भास्कराचार्य।

kal ki tithi kya hai -
पंचांग के मुख्य तत्व

पंचांग भारतीय कालगणना प्रणाली का आधार है, जिसमें पाँच प्रमुख घटक शामिल होते हैं। ये तत्व समय, तिथि, ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति और धार्मिक कार्यों के लिए शुभ-अशुभ समय का निर्धारण करने में मदद करते हैं। पंचांग के ये पाँच मुख्य तत्व तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण हैं। आइए इन्हें विस्तार से समझते हैं।

kal ki tithi kya hai -
1. तिथि

तिथि चंद्रमा के आकार के आधार पर गणना की जाती है। यह चंद्र मास का एक भाग है और अमावस्या से पूर्णिमा के बीच 15 तिथियाँ होती हैं। 

हिन्दी में तिथियों के नाम इस प्रकार हैं:

  1. प्रथम
  2. द्वितीया
  3. तृतीया
  4. चतुर्थी
  5. पंचमी
  6. षष्ठी
  7. सप्तमी
  8. अष्टमी
  9. नवमी
  10. दशमी
  11. एकादशी
  12. द्वादशी
  13. त्रयोदशी
  14. चतुर्दशी
  15. पूर्णिमा (शुक्ल पक्ष) / अमावस्या (कृष्ण पक्ष)

तिथि का महत्व धार्मिक अनुष्ठानों, व्रत और त्योहारों में विशेष होता है। उदाहरण के लिए, एकादशी तिथि का उपयोग उपवास के लिए किया जाता है।

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2. वार

वार का अर्थ है सप्ताह का दिन। भारतीय ज्योतिष में सात वार होते हैं: रविवार, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार। प्रत्येक वार का संबंध एक ग्रह से होता है। जैसे, रविवार का संबंध सूर्य से, सोमवार का चंद्रमा से, और इसी प्रकार अन्य वारों का भी विभिन्न ग्रहों से संबंध है।

हिंदी में सप्ताह के सात दिनों के नाम इस प्रकार हैं:

  1. रविवार
  2. सोमवार
  3. मंगलवार
  4. बुधवार
  5. गुरुवार
  6. शुक्रवार
  7. शनिवार
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3. नक्षत्र

नक्षत्र 27 खगोलीय समूहों को कहते हैं, जो चंद्रमा की गति के आधार पर विभाजित किए गए हैं। प्रत्येक नक्षत्र का एक स्वामी और विशेष प्रभाव होता है। यह तत्व जन्म कुंडली, शुभ कार्यों के मुहूर्त और ज्योतिषीय गणनाओं में अत्यंत महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, अश्विनी, रोहिणी, मृगशिरा आदि प्रमुख नक्षत्र हैं।

हिंदी में 27 नक्षत्रों के नाम इस प्रकार हैं:

  1. अश्विनी
  2. भरणी
  3. कृत्तिका
  4. रोहिणी
  5. मृगशिरा
  6. आर्द्रा
  7. पुनर्वसु
  8. पुष्य
  9. अश्लेषा
  10. मघा
  11. पूर्वा फाल्गुनी
  12. उत्तरा फाल्गुनी
  13. हस्त
  14. चित्रा
  15. स्वाति
  16. विशाखा
  17. अनुराधा
  18. ज्येष्ठा
  19. मूल
  20. पूर्वाषाढ़ा
  21. उत्तराषाढ़ा
  22. श्रवण
  23. धनिष्ठा
  24. शतभिषा
  25. पूर्वभाद्रपद
  26. उत्तरभाद्रपद
  27. रेवती

ये सभी नक्षत्र चंद्रमा की स्थिति के आधार पर माने जाते हैं और ज्योतिष में विशेष महत्व रखते हैं।

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4. योग

 योग सूर्य और चंद्रमा की विशेष स्थिति से बनते हैं। कुल 27 योग होते हैं, जो शुभ और अशुभ समय का निर्धारण करते हैं। यह ज्योतिषीय दृष्टिकोण से अत्यधिक उपयोगी होता है और धार्मिक अनुष्ठानों में इनका ध्यान रखा जाता है।

हिंदू पंचांग के अनुसार, 27 योग होते हैं, जो चंद्रमा और सूर्य की स्थिति के आधार पर तय किए जाते हैं। इन योगों के नाम इस प्रकार हैं:

  1. विष्कंभ
  2. प्रीति
  3. आयुष्मान
  4. सौभाग्य
  5. शोभन
  6. अतिगंड
  7. सुकर्मा
  8. धृति
  9. शूल
  10. गंड
  11. वृद्धि
  12. ध्रुव
  13. व्याघात
  14. हर्षण
  15. वज्र
  16. सिद्धि
  17. व्यतिपात
  18. वरीयान
  19. परिघ
  20. शिव
  21. सिद्ध
  22. साध्य
  23. शुभ
  24. शुक्ल
  25. ब्रह्म
  26. इंद्र
  27. वैधृति

ये योग विभिन्न शुभ और अशुभ प्रभावों को दर्शाते हैं, जो धार्मिक कार्यों और जीवन की घटनाओं के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं।

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5. करण

करण तिथि का आधा भाग होता है। एक तिथि में दो करण होते हैं। कुल 11 करण हैं, जिनमें से 7 चंचल करण और 4 स्थिर करण माने जाते हैं। करण शुभ और अशुभ समय का निर्धारण करने में सहायक होते हैं।

हिंदू पंचांग के अनुसार, करण चंद्रमा की गति पर आधारित होते हैं। कुल 11 करण होते हैं, जिनमें से 4 स्थायी (नित्य करण) और 7 चक्र के रूप में बदलने वाले (चर करण) हैं।

नित्य करण (स्थायी करण):

  1. शकुनि

  2. चतुष्पद

  3. नाग

  4. किंस्तुघ्न

चर करण (परिवर्तनीय करण):

  1. बव

  2. बालव

  3. कौलव

  4. तैतिल

  5. गर

  6. वणिज

  7. विष्टि (भद्र)

विशेष:

  • एक तिथि में दो करण होते हैं।
  • इनका उपयोग शुभ कार्यों और पंचांग की गणनाओं में किया जाता है।
  • भद्रा (विष्टि) को अशुभ माना जाता है।

कल की तिथि क्या है | kal ki tithi kya hai 

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