आज की तिथि
aaj ki tithi kya hai in hindi 2025

20 मार्च 2025
की तिथि

आज की तिथि

जाणिये आज की तिथि क्या है
aaj ki tithi kya hai in hindi panchang

  • दिनांक : 20 मार्च 2025
  • वार : गुरुवार
  • माह (अमावस्यांत) : फाल्गुन
  • माह (पूर्णिमांत) : चैत्र
  • ऋतु : वसंत
  • आयन : उत्तरायण
  • पक्ष : कृष्ण पक्ष  
  • तिथि: षष्ठी तिथि (21 मार्च प्रातः 02:45 बजे तक) तत्पश्चात सप्तमी तिथि
  • नक्षत्र: अनुराधा नक्षत्र (रात 11:31 बजे तक) तत्पश्चात ज्येष्ठा नक्षत्र
  • योग: वज्र योग (शाम 06:18 बजे तक) तत्पश्चात सिद्धि योग
  • करण: गैराज करण (दोपहर 01:44 बजे तक) तत्पश्चात वनीजा करण
  • चन्द्र राशि: वृश्चिक
  • सूर्य राशि: मीन
  • अशुभ समय:
  • राहु काल: दोपहर 02:05 से दोपहर 03:36 तक
  • शुभ मुहूर्त:
  • अभिजित : दोपहर 12:10 से दोपहर 12:59
  • सूर्योदय: 06:32
  • सूर्यास्त : 06:37
  • संवत्सर : क्रोधी
  • संवत्सर(उत्तर) : कालयुक्त
  • विक्रम संवत: 2081 विक्रम संवत
  • शक संवत: 1946 शक संवत

आज की तिथि क्या है
महत्वपूर्ण तारीख

  • विनायक चतुर्थी : 3 मार्च
  • दुर्गाष्टमी : 7 मार्च
  • जागतिक महिला दिन : 8 मार्च
  • आमलकी एकादशी : 10 मार्च 
  • होली : 13 मार्च 
  • फाल्गुन पूर्णिमा : 14 मार्च 
  • संकष्ट चतुर्थी : 17 मार्च 
  •  भागवत एकादशी :26 मार्च
  • फाल्गुन अमावास्या : 29 मार्च  

aaj ki tithi kya hai in hindi
पंचांग का महत्व

पंचांग: भारतीय कालगणना
भूमिका
पंचांग भारतीय संस्कृति और परंपरा का अभिन्न हिस्सा है। यह एक अद्वितीय खगोलीय कैलेंडर है, जो दिन, तिथि, वार, नक्षत्र, योग, करण और अन्य खगोलीय घटनाओं की जानकारी देता है।

हिंदी पंचांग का महत्व

पंचांग का उपयोग ज्योतिषीय गणनाओं, शुभ कार्यों की योजना, पर्व-त्योहारों के निर्धारण और धार्मिक कर्मकांडों के लिए किया जाता है। यह न केवल एक साधारण कैलेंडर है, बल्कि इसमें विज्ञान, खगोलशास्त्र और धर्म का समन्वय है।

हिंदी पंचांग का इतिहास

पंचांग की उत्पत्ति वैदिक काल से मानी जाती है। वैदिक ज्योतिष में इसका विस्तृत वर्णन मिलता है। कालांतर में कई महान ज्योतिषियों ने पंचांग निर्माण में योगदान दिया, जैसे वराहमिहिर, आर्यभट और भास्कराचार्य।

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हिंदी पंचांग के मुख्य तत्व

वार: सप्ताह के सात दिनों की जानकारी।
तिथि: चंद्रमा के अनुसार दिन की गणना।
नक्षत्र: आकाशीय पिंडों की स्थिति।
योग: सूर्य और चंद्रमा की विशेष स्थितियों का योग।
करण: एक तिथि का आधा भाग।

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पंचांग के मुख्य तत्व

पंचांग भारतीय कालगणना प्रणाली का आधार है, जिसमें पाँच प्रमुख घटक शामिल होते हैं। ये तत्व समय, तिथि, ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति और धार्मिक कार्यों के लिए शुभ-अशुभ समय का निर्धारण करने में मदद करते हैं। पंचांग के ये पाँच मुख्य तत्व तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण हैं। आइए इन्हें विस्तार से समझते हैं।

1. तिथि
तिथि चंद्रमा के आकार के आधार पर गणना की जाती है। यह चंद्र मास का एक भाग है और अमावस्या से पूर्णिमा के बीच 15 तिथियाँ होती हैं। तिथि दो प्रकार की होती है:

शुक्ल पक्ष: जब चंद्रमा बढ़ रहा हो।
कृष्ण पक्ष: जब चंद्रमा घट रहा हो।
तिथि का महत्व धार्मिक अनुष्ठानों, व्रत और त्योहारों में विशेष होता है। उदाहरण के लिए, एकादशी तिथि का उपयोग उपवास के लिए किया जाता है।
2. वार
वार का अर्थ है सप्ताह का दिन। भारतीय ज्योतिष में सात वार होते हैं: रविवार, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार। प्रत्येक वार का संबंध एक ग्रह से होता है। जैसे, रविवार का संबंध सूर्य से, सोमवार का चंद्रमा से, और इसी प्रकार अन्य वारों का भी विभिन्न ग्रहों से संबंध है।

3. नक्षत्र
नक्षत्र 27 खगोलीय समूहों को कहते हैं, जो चंद्रमा की गति के आधार पर विभाजित किए गए हैं। प्रत्येक नक्षत्र का एक स्वामी और विशेष प्रभाव होता है। यह तत्व जन्म कुंडली, शुभ कार्यों के मुहूर्त और ज्योतिषीय गणनाओं में अत्यंत महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, अश्विनी, रोहिणी, मृगशिरा आदि प्रमुख नक्षत्र हैं।

4. योग
योग सूर्य और चंद्रमा की विशेष स्थिति से बनते हैं। कुल 27 योग होते हैं, जो शुभ और अशुभ समय का निर्धारण करते हैं। यह ज्योतिषीय दृष्टिकोण से अत्यधिक उपयोगी होता है और धार्मिक अनुष्ठानों में इनका ध्यान रखा जाता है।

5. करण
करण तिथि का आधा भाग होता है। एक तिथि में दो करण होते हैं। कुल 11 करण हैं, जिनमें से 7 चंचल करण और 4 स्थिर करण माने जाते हैं। करण शुभ और अशुभ समय का निर्धारण करने में सहायक होते हैं।

आज की तिथि क्या है | aaj ki tithi kya hai in hindi 

पंचांग का उपयोग

ज्योतिषीय गणनाएं
शुभ मुहूर्त निर्धारण
धार्मिक अनुष्ठान और व्रत
पर्व-त्योहार और सामाजिक आयोजन

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